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रहस्यमाई चश्मा भाग - 57





मीमांशा समझदार एव पढ़ी लिखी उस जमाने की नारी थी जब कन्या शिक्षा एव नारी शिक्षा के स्तर पर देश बहुत पिछड़ा था पति सिंद्धान्त कि मानसिकता को भांप मीमांशा ने कोई बात करना उचित नही समझा सुबह सिंद्धान्त जब मंगलम चौधरी से मिलने के लिए जाने को तैयार हुआ तब वह बोली आप बहुत परेशान लग रहे है आखिर बात क्या है मीमांशा को टालने कि नियत से सिंद्धान्त ने कहा कोई बात नही लेकिन मीमांशा ने इतने सारे प्रश्नों कि झड़ी लगा दी कि सिंद्धान्त को समझ मे नही





 

और नही भी यदि जिंदा हुई और कभी भी वह मंगलम चौधरी से मिल गयी तो उस मिलन का तूफान इतना जोरो से उठेगा की पुराने सारे त्याग एव नैह स्नेह के रिश्ते बहुत पीछे छूट जाएंगे तुम्हारी तो कोई विसात ही नही तुम पर तो तुम्हे पाल पोषकर उच्च शिक्षा देकर ऐसे ही मंगलम चौधरी ने उपकार किया है जबकि सुयश एव उसकी माँ शुभा का कर्ज है मंगलम चौधरी पर सिंद्धान्त को नत्थू की बाते अवश्य समझ मे आ रही थी वैसे भी इंसान जहाँ भी स्वार्थ औऱ संस्कृति समाज चुनने के विकल्प के बीच खड़ा होता है तो वह अपना स्वार्थ ही चुनता है वह अपने जीवन काल मे भोग एव भौतिकता को प्रमुखता देता है यही मॉनव प्रबृत्ति है सिंद्धान्त ने भी यही किया और मंगलम चौधरी की परिवरिश और सांस्कार के बोझ से मुक्त होकर वह नत्थू अपने खून नत्थु के गले लग गया कर्दब पिता पुत्र के मिलन को देखकर बहुत खुश हुआ,,,,


नत्थू के मिशन मंगलम का पहला चरण पूरा हुआ वह बहुत खुश था उसने अब सिंद्धान्त कर्दब के साथ अक्सर अपने पिता नत्थू से मिलने जाता और नत्थू के निर्देशानुसार मंगलम चौधरी के साम्राज्य को दीमक की तरह खोखला करने लगा कर्दब जग्गू और इमिरीतिया अब नत्थु के लिए बेमतलब हो चुके थे अतः वह पीते मोहरों से मुक्ति चाहता था,,,


सिंद्धान्त अब नत्थू के इशारे पर कार्य करने लगा और कर्दब एव जग्गू को नज़र अंदाज़ करना शुरू कर दिया धीरे धीरे जब इसका एहसास कर्दब और जग्गू को हुआ तब उनको अपनी गलती का भी एहसास हुआ दोनों को अपने उस्ताद कि असलियत भी मालूम हो गयी दोनों को यह तो मालूम ही था कि नत्थू शातिर अपराधी है और उसकी नज़र में इंसान इंसानियत कि कीमत का कोई मतलब ही नही था लेकिन उनको यह विश्वास अवश्य था कि डायन भी कुछ घर छोड़ती है अतः नत्थू सम्भव है उनका कुछ अहित ना करे लेकिन हुआ ठिक उल्टा नत्थू कर्दब और जग्गू को ही रास्ते से हटाने की योजना बना रहा था नत्थू कि खास बात यही थी कि उसकी योजनाओं कि भनक तक किसी को नही लगती जब तक लगती उसकी योजना क्रियान्वित हो जाती लेकिन कर्दब उसकी रग रग से वाकिब था अतः उसने इमिरीतिया से कहा तुम सिंद्धान्त को उसकी माँ के विषय मे भी सही जानकारी बताओ कैसे नत्थू मरने के बाद लावारिस छोड़ गया था,,,,

जैसे तुम्हे छोड़ गया था और दोनों स्वंय मंगलम चौधरी से मिलने चले गए इमिरीतिया ने सिंद्धान्त को नत्थू कि वह सच्चाई भी बता दी जो उसने सिंद्धान्त कि माँ और अपनी पत्नी के साथ किया था सिंद्धान्त कुछ नही बोला और इमिरीतिया कि बातों को ध्यान से सुनने के बाद बोला माई तुम्हे मैं पन्ना धाय का दर्जा तो नही दे सकता लेकिन दुनियां में मैं अब तक हूँ तो तुम्हारी वजह से यह उपकार मैं नही भूल सकता हूँ इमिरीतिया के जाने के बाद सिंद्धान्त गहरी सोच में डूब गया तभी नत्थू वहाँ पहुंचा बोला बेटा किस चिंता में खोए हो अब तो तुम्हारा बापू तुम्हारे साथ है सिद्धांत कुछ नही बोला नत्थू को समझते देर नही लगी कि सिंद्धान्त को कोई ऐसी बात तो अवश्य बता कर इमिरीतिया गयी है जो सिंद्धान्त को चिंतित किये हुए है ।

जग्गू और कर्द्रब किसी तरह से बचते बचाते मंगलम चौधरी तक पहुंच जाते है और बड़ी मुश्किल से मंगलम चौधरी से मिलने का समय मांगते है मंगलम चौधरी कि खास आदत यह थी कि वह किसी से मिलते जुलते नही थे सिर्फ विशेष व्यक्तियों को छोड़कर उनका मिलना जुलना उठना बैठना संत एव विद्वत समाज के साथ ही होता था मंगलम चौधरी धार्मिक प्रबृत्ति के विद्वान व्यक्ति थे अपने कारोबार एव साम्राज्य में भी कुछ खास व्यक्तियों से ही मिलने कि इजाज़त थी कर्दब और जग्गू जैसे व्यक्ति तो उनके आस पास भी नही फटक सकते थे लेकिन संयोग कहे या ईश्वर कि इच्छा मंगलम चौधरी ने जग्गू औऱ कर्द्रब से मिलने का समय दे दिया कर्दब और जग्गू जब मंगलम चौधरी से मिलने गए तब चौधरी साहब ने उन्हें सिर्फ पांच मिनट में अपनी बात कहने के लिए दिया कर्दब ने पांच मिनट में ही सिंद्धान्त औऱ नत्थू कि वास्तविकता को बांया करते हुए बताया कि मालिक किसी दिन भी आपकी कलकत्ता की जुट मिलो एव बिभिन्न जगहों कि चीनी मिलों में एक साथ एक दिन कोई भी अपशगुन हो सकता है,,,,,

जिससे कि आपकी सारी मीले बर्बाद हो जाएगी मंगलम चौधरी ने कर्दब कि बात सुनने के बाद बड़े शांत एव धैर्य के साथ बोले तुम दोनों जाओ और अपनी हिफाज़त करो क्योकि यहॉ से जाने के बाद तुम दोनों सुरक्षित नही हो नत्थू तुम दोनों को जिंदा नही छोड़ेगा कर्दब और जग्गू निकले कर्दब ने कहा जग्गू तुम्हारी घरवाली भी लौट आयी होगी आज तुम्हारे यहां ही रुक जाते है कल सोचेंगे कि क्या करना है कहा जाना है जग्गू ने कहा ठिक है जग्गू कर्दब को लेकर अपने घर पहुंचा जो दरभंगा शहरी क्षेत्र से लगा हुआ था दोनों ने रात को साथ खना खाया आपस मे बात करने लगे सुबह इमिरीतिया जग्गू और कर्दब मृत अवस्था मे मिले उन दिनों एक साथ एक घर मे तीन मौतें बहुत बड़ी बात थी दरभंगा पुलिस एव प्रशासन ने मामले कि गंभीरता को समझा और त्वरित कार्यवाही कि लेकिन प्रशासन के समक्ष लोंगो की मांग थी कि कर्दब और जग्गू मंगलम चौधरी से मिलकर आये थे और मृत पाए गए कोई ऐसी बात अवश्य है जो मंगलम चौधरी को इस तिहरे हत्याकांड का दोषी सावित करते है,,,,

 प्रशासन के समक्ष धर्मसंकट यह था कि वह क्या करे मंगलम चौधरी पर कानूनी शिकंजा कसने का मतलब था सरकार के लिए बड़ी चुनौती पुलिस प्रशासन ने मंगलम चौधरी का कलमबंद बयान मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में लिया और उसे सार्वजनिक करते हुए लोंगो को आश्वशन दिया कि यदि मंगलम चौधरी कही से भी इस हत्या कांड में सम्बंधित हुये तो कानून उनके साथ भी आम मुजरिम की तरह ही पेश आएगा जनाक्रोश सुलगते आग कि तरह धुंआ देता कुछ राहत अवश्य था लेकिन कभी भी स्थिति विस्फोटक हो सकती थी,,,


सिंद्धान्त को भी जग्गू कर्दब और इमिरीतिया कि एक साथ हत्या की बात मालूम हुई वह यह समझ ही नही पा रहा था कि वह अपने रगों में बहते खून पर भरोसा करे या मंगलम चौधरी के संस्कारों पर उसने बापू नत्थू से पूछ ही लिया बापू आपकी नजर में इमिरीतिया जग्गू और कर्दब का हत्यारा कौन हो सकता है नत्थू ने कहा बेटा मैं बहुत पढा लिखा तो हूँ नही फिर भी तजुर्बे से जो जाना सीखा है उसके बिना पर कह सकता हूँ कि यह घृणित कार्य तुम्हारे देवता जैसे मालिक मंगलम चौधरी के ही बस की बात है सिंद्धान्त को बापू की बात सुनते ही बहुत तेज झटका लगा क्योकि वह मंगलम चौधरी को तो भलीभांति जानता ही था फिर भी वह बापू नत्थु कि बातों को एकाग्रता से सुनता रहा नत्थू ने सिंद्धान्त को बताया कि जीवन मे जायज नाजायज कमजोरों के लिए है ताकतवर के लिए नाजायज भी जायज है क्योकि ताकत से ही दुनियां चलती है मानती है,,,,

 ताकत गलत से गलत कार्यो को शास्त्र सम्वत एव धर्मसम्वत सावित कर देती है धर्म भी का स्रोत भी शक्ति ही है सिंद्धान्त आश्चर्य से अपने बापू की बातों को सुन रहा था नत्थू ने कहा साम्राज्य बनते बिगड़ते है बनाने वाला पुराने कि चिता कब्र पर ही पराक्रम पुरषार्थ कि नई इबारत लिखता है दुनिया उंसे पूजती है और पुराने को पन्नो में दुनियां के किस्से कहानियों में दर्ज हो जाता है सिंद्धान्त बापू का मुंह एकटक देखता ही रहा उंसे लगा कि बापू कहता है कि वह कम पढा लिखा है लेकिन बाते तो इसकी ऐसी है जैसे कोई बहुत विद्वान नत्थू ने सिंद्धान्त से कहा बेटे छोड़ो दुनियां भर की समस्याओं को तुम्हारे सामने तुम्हारा भविष्य चीख चीख कर पुकार रहा है,,,,

 आगे बढ़ो मोह का त्याग करो और सुनहरे भविष्य कि ओर आगे बढ़ो और नत्थू ने एक खुफिया योजना कि रूप रेखा सिंद्धान्त को समझाई नत्थू सिंद्धान्त के साथ ही रहने लगा था अतः सिंद्धान्त को मंगलम चौधरी के सांस्कार पालन पोषण का कोई ध्यान नही आने देता मंगलम चौधरी का आदेश सिंद्धान्त के लिए आता है चौधरी साहब ने उसे तुरंत बुलाया था नत्थू को जब इस बात का पता चलता है तब वह सिद्धांत को आवश्यक निर्देश देता है सिंद्धान्त सुनता है लेकिन कोई प्रतिक्रिया नही देता ।

सिंद्धान्त नत्थू कि शिक्षा एव आज्ञा लेकर चौधरी साहब से मिलने दरभंगा चल देता है घर पहुंचता है जहां मीमांशा उसका इंतजार कर रही होती है मीमांसा पतिव्रता एव धार्मिक सोच समझ की नारी थी उसने पति सिंद्धान्त को इस बार आते ही समझ लिया कि वह जीवन के किसी दोराहे पर खड़ा है और भ्रमित है रात को खाना खाने के बाद मीमांशा ने उसकी मानसिक स्थिति का अंदाज़ा लगाया।।


जारी है



 आ रहा था कि वह मीमांशा को क्या बताये क्या न बताये लेकिन मीमांशा कि जिद के आगे सिंद्धान्त बहुत देर तक नही अपनी गम्भीरता को बरकरार रख सका और उत्तेजित होते हुए बोला तुमको तो मालूम ही है कि मैं चौधरी साहब के उपकारों के बोझ तले दबा हूँ,,,,,


  मुझे कचरे के ढेर से उठाकर इस लायक बनाया की मैं सम्मान के साथ सर उठा कर समाज मे जी सकूं लेकिन मुझे जन्म देने वाला भी मुझे अपनी खून का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष वास्ता दे रहा है मेरे सामने प्रश्न यह है कि मैं क्या करूँ कर्ण की तरह आचरण करु या कबीर बनूं मीमांशा बोली सिंद्धान्त आज तुमने अपनी उच्च शिक्षा संस्कार को ही नकार दिया ऐसी कोई विशेष परिस्थिति तुम्हारे सामने है ही नही की जिसके लिए आप इतने परेशान हो क्योकि कर्ण और कबीर जैसी स्थिति तो है ही नही आपको जन्म देने वाले ने जो भी हो आपके जन्म लेने के साथ ही अपने निश्चित उद्देश्यो के लिए मरने के लिए छोड़ दिया ना तो उसके सामने किसी लोक लाज का भय था ना ही किसी प्रकार का अन्य भय सिर्फ क्षुद्र स्वार्थ के वसीभूत जो भी किया सोच समझ कर रणनीतिक निर्णय कि तरह आपको चाहिये कि जन्म दाता पिता जो अचानक प्रगट हो गए है उनसे माँ के विषय मे जानकारी मांगते और वह नही बता पाए तो आप अपने श्रोतों से पता करे क्योकि माँ अपनी संतान के जन्म के विषय मे कोई सत्य नही छुपाती पिता जी जिन्होंने अपने खून का वास्ता दिया है,,,,,,


उन्हें तो अवश्य सच्चाई मालूम होगा लेकिन वह बताना होता तो बता चुके होते यही रहस्य आपको सुलझाना होगा तभी आपको समझ कि वास्तविकता का सुकून मिलेगा जो आपको जीवन के रास्ते के निर्धारण में मददगार साबित होगा रही बात चौधरी साहब कि तो उनका तो कोई स्वार्थ आपसे हो ही नही सकता है संयोग से आप नवजात उन जैसे संवेदनशील विराट हृदय व्यकितत्व को मिले जिन्होंने वह हर परिवरिश आपको दिया जो अपने बेटे को देते उनके विषय मे कुछ भी गलत मन मे बिचारो के आने देने से पहले ही जीवन का दिक्कर है सिंद्धान्त शांत भाव से पत्नी मीमांशा कि बातों को सुन रहा था वह कुछ नही बोला और सिर्फ इतना कहते हुए चौधरी साहब से मिलने चल पड़ा कि अच्छा मीमांशा मैं चलता हूँ,,,,,


सिंद्धान्त कुछ ही देर में चौधरी साहब के सामने था मंगलम चौधरी ने स्वंय खड़े होकर सिंद्धान्त को बड़े हर्ष से गले लगाया और पुत्रवत स्नेह के साथ पाया बैठाया और बोले बेटे सिंद्धान्त बहुत दिनों तक तुम मिलो में हो रही मजदूरों के बगावत कि समस्या को निपटाने में व्यस्त थे मैं जानता हूँ कि समस्या ज्यो की त्यों है लेकिन तुमने ईमानदारी से बहुत मेहनत किया है मेरे लिए यह संतोष कि बात है और सुखिया को सुयश को बुलाने के लिए आदेश दिया सुखिया के जाते ही चौधरी साहब पुनः सिंद्धान्त कि तरफ़ मुख़ातिब होकर बोले बेटे सिंद्धान्त आपको तो मालूम ही था कि सुयश उच्च शिक्षा हेतु इंग्लैंड गया था लौट कर आने पर यहां बहुत बड़ा उत्सव मनाया गया मैंने आपको बुलाना उचित इसलिये उचित नही समझा कि आप बहुत महत्वपूर्ण कार्यो में लगे हुए थे,,,,


 बीच मे छोड़कर आना उचित नही था मुझे खेद है सिंद्धान्त चौधरी साहब का चेहरा देखता ही रह गया जिसपर प्राश्चित के भाव स्प्ष्ट दिख रहे थे चौधरीं साहब और सिंद्धान्त कि वार्ता के मध्य सुयश दाखिल हुआ सुयश के आते ही चौधरीं साहब ने सुयश को आदेशात्मक लहजे में कहा सुयश सिंद्धान्त तुम्हारे बड़े भाई जैसा है इनके पैर छू कर आशीर्वाद लो सुयश ज्यो ही सिंद्धान्त के पैर छूने के लिए झुका सिंद्धान्त स्वंय खड़ा हुआ और सुयश को गले लगाते हुए बोला की छोटे भाई कि जगह पैरों में नही हृदय में होती है चौधरीं साहब कि आंखे सुयश और सिंद्धान्त के मिलन को देख कर भर आयी,,,,,,


सिंद्धान्त ने सुयश को पास बैठाते हुये बोला सामने बैठे इंसान के रूप में ईश्वर साक्षात हम दोनों के पिता भी है भगवान भी जिन्होंने बिना कुछ हम दोनों के जन्म अतीत को जाने अच्छी परिवरिश शिक्षा और समाज मे सम्मान कि जिंदगी दी है तुमने तो संयोग कहे या भाग्य दुर्भाग्य मात्र इनके चश्मे के लिए अपना दाहिना हाथ गंवाया है मुझे तो आज तक चौधरीं साहब के आशीर्वाद का उपकार ही मिला है मंगलम चौधरीं बड़े ध्यान से सिंद्धान्त की बातों को सुन रहे थे बीच मे टोकते हुये बोले सिंद्धान्त आप तो मुझ इंसान को बेवजह भगवान बना बैठे इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है कि वह बिना स्वार्थ वह कोई कार्य नही करता है मैं भी अपवाद नही हूँ,,,,


मेरा भी स्वार्थ है आप दोनों से यह क्या कम है कि अविवाहित मंगलम चौधरीं को राम लक्ष्मण जैसे दो बेटे तुम दोनों के रूप में मिल गए मेरे लिये यही क्या कम है चौधरीं साहब अतीत में खो गए उनकी अंतिम मुलाकात शुभा से हुई थी दोनों के विवाह की तिथि निश्चित हो चुकी थी शुभा गर्भवती थी शुभा ने तब कहा था विराज जी हमसे गलती हुई या ईश्वर के आशीर्वाद अनुकम्पा कि कृपा मैं विवाह से पूर्व ही तुम्हारे संतान कि माँ बनने वाली हूँ और आपका नाम मंगलम अर्थात शुभ ही शुभ मेरा नाम शुभा है तो आने वाली संतान का ना सुयश या सुकांता ही होगा विराज ने कहा गलती के बोझ या पश्चाताप में जलने कि कोई आवश्यकता नही मैने अपने पिता से सच्चाई बता दी है और तुम्हारे माता पिता वास्तविकता से भिज्ञ है यह ईश्वर का ही आशीर्वाद समझो कि तुम शेष नाग जो भगवान विष्णु के छत्र शय्या है और पृथ्वी को फन पर धारण करते है उनकी कृपा और संत महा पुरुष कि आज्ञा से ही तुम्हे यह जीवन का पुरस्कार प्राप्त हुआ है,,,,,


 शुभा ने कहा फिर भी समाज में ऐसे भी लोग है जो मनगढ़ंत किस्से गढ़ते है और बेवजह का बखेड़ा खड़ा करते है ऐसी भी स्थिति आ सकती है जब तुम्हे ही समाज के प्रभाव एव भय के दबाव में आना पड़े तब मेरा क्या होगा तब मंगलम चौधरीं को अपनी प्रतिज्ञा कानो में गुजने लगी जो उन्होंने शुभा के समक्ष लिया था मंगलम चौधरीं ने कहा था सूरज निकलना बंद कर दे समय अपनी गति बदल दे युग परिवर्तित हो जाए…..




जारी है






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3 Comments

Babita patel

05-Sep-2023 12:25 PM

Nice

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KALPANA SINHA

05-Sep-2023 11:39 AM

Amazing

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